Monday, January 18, 2016

तलाश सुख की

     २१वी सदी आधुनिक विश्व । २० साल पहले हमे पता हे की mobile का उपयोग सिर्फ call करने के लिए इस्तेमाल करते थे, लेकिन २ दायको में mobile और इंटरनेट की दुनिया में जो क्रांति हुई हे, वो अकल्पनीय हे । हमें इतनी सुविधाये मिल चुकी हे की आदमी को ज्यादा कम करना या सोचने की जरुरत ही नई हे । हम मोबाइल के जरिये banking, video calling, गेमिंग, music जेसी बहोत सारी अच्छी चीजे सिख सकते हे, और हम जिंदगी बेहतर ढंग से जी सकते हे ।

     वेसे ही automobile, Construction, ट्रांसपोर्टेशन, एग्रीकल्चर एरिया ये सभी क्षेत्र जो technological क्रांति जो आयी हे उस पर से पता चलता हे की इस युग में अभी दुनिया में सबसे ज्यादा educated और समजदार लोग हे जो जल्दी से टेक्नोलॉजी को समाज रहे हे, और उसे अपना भी रहे हे । अब सीधे हमारे टॉपिक पे आते है, की हमारे पास कितने सरे सुविधाये हे लेकिन क्या उसकी वजह से हमारी मुलभुत समश्याए सुल्जि है । महाभारत का एक प्रचलित लरसंग हे जिससे हमें पता चलेगा की सुख को प्राप्त करने में अगर shortcut लगाया तो क्या होता हे।कहते है की जो कुछ इस दुनिया में है वो सभी महाभारत में हे और जो महाभारत में है उससे कुछ भी ज्यादा और कम इस दुनिया में नहीं हे । इस पे आप विचार कर सकते हे, की जो महाभारत में उड़नखटोले की बात आती हे वो अभी प्लेन है, वेसी कई बाटे हे जिसे आप सोच कर कपरे कर सकते है।

पहले हम वो पूरा प्रसंग, कहानी देख लेते है, फिर उसका विश्लेषण करेंगे।

     जब सभी पांडवो को वन में जाने का अवसर आया था, तबकी बात है। सभी पांडव एक रेगिस्तान में आये हुवे थे, सभी भाई थक चुके थे। उसकी मुख्या वजह एक ही थी "पानी" , पानी न मिलने की वजह से शरीर की साडी शक्ति धीरे धीरे कम हो रही थी। पहले तो सभी पांडवो ने संयम रखा लेकिन आखिर कर पानी की कमी की वजह सबके चेहरे पर और हावभाव पर दिखाई देती है।  तभी बड़े भाई, धर्मराज, सत्यवादी, युधिस्ठिर एक वृक्ष के निचे आराम करने को कहा।  यहाँ एक leader केसा होना चाहिए वो पता चलता है। वो अपने भाइयो की हालात को समजते है, पर परिस्थिति के अनुसार चलते है। फिर नकुल की जो पांडवो में उम्र सबसे छोटा हे, उसे अति सन्मान से कहते है की, प्रिय अनुज (छोटा भाई) जरा वृक्ष के ऊपर चढ़ के देखो तो सही के, कही पे आसपास तुम्हे क्या कोई जलचर पक्षी दिखाई देता है क्या ? जलचर पक्षी की यही खासियत होती हे की वो पानी सरलता से ढूंढ लेते हे। अपने बड़े भाई की आज्ञा के अनुसार छोटा भाई वृक्ष पे चढ़ता हे और सब जगह , चारो दिशाओ में दूर दूर तक देखता है। अब यहाँ पे सोचनेवाली बात है, की बड़े भाई युधस्थिर की एक आज्ञा को कोई भी argument के बिना छोटा भाई स्वीकार करता है। यहाँ से हमें यही तो सीखना हे, की हमारा कोई बड़ा भाई या बहन हे, या फिर उम्र में कोई बड़ा व्यक्ति है, उसकी बात को सही ढंग सोचनी समझनी चाहिए, नहीं की अपने देहाभिमान की आड़ में उस व्यक्ति का अपमान करना चाहिए।

     बाद में नकुल को तो थोड़ी ही दूर कुछ, पक्षी उड़ते हुवे दीखते है। नकुल निचे उतर कर, बहुत ही हर्ष के साथ सभी भाइयो को कहता है, की बहुत ही अच्छी बात है दूर पानी होने की आशा जगी है। नकुल कोई पात्र लेकर उस दिशा में आगे बढ़ता है। थोड़ी देर बाद वह पहोचने के बाद नकुल देखता है तो हराभरा, सुन्दर, मनमोहक, प्राकृतिक वातावरण और बहोत ही बड़ा सुद्ध और स्वच्छ पानी देखकर, नकुल की खुसी दुगनी हो जाती है।
हमारा भी ऐसा ही है, हम भी समुन्द्र की तरंग कोई सुख या अच्छी वातु देख कर उसकी और दौड़ने लगते है। हमारे शास्त्रो में लिखा है, की माया से भरे हुई सभी सुख अपने साथ दुःख लेके आते है। हम दुनिया में सुखी होने के लिए सभी भौतिक चीजे खरीदते है, लेकिन कभी हम उस सुख की , उस वास्तु की चाहत में इतना अंधे हो जाते है, की भले बुरे का कोई ज्ञान हमे नहीं रहता और बादमे, अंतमे हमें सिर्फ दुःख मिलता है। इसका मतलब ये नहीं है, की हमें सुख प्राप्त नहीं करब चाहिए, लेकिन हर चीज का वक्त होता हे, भगवान भी हमें समय से पहले, और नसीब ज्यादा नहीं देंगे। लेकिन अगर कोई गलत रास्ता चुन कर हमने जीवन का मजा लेने की कोशिश की तो अंत में दुःख के शिवा कुछ नही मिलेंगे। इस बात को हम जितना सोंचेंगे उतना ही हमें अच्छे और बुरे का फर्क पता चल जायेंगा।

     इस तरफ नकुल पानी को देखकर बहोत ही खुस हो जाता है, और तुरंत ही वो पानी पिने जाता है। लेकिन जेसे ही पानी मुह के पास ले जाता है, तुरंत ही आकाशवाणी होती है,  "हे, मनुष्य ये पानी तुम नहीं पि सकते इस पानी पे मेरा अधिकार है। अगर तुम्हे ये पानी पीना है तो मेरे सवालो का जवाब देना होगा, फिर भी तुमने पानी पिने की कोशिश की तो तुम्हे मृत्यु से कोई नहीं बचा पायेगा।" नकुल तो वेसे ही सूखे गले सेे बेचैन था, और सामने पानी देखकर उसने कुछ सोचे समजे बिना ही पानी को ली लिया, तुरंत ही आकाशवाणी के अनुशार नकुल की मृत्यु हल जाती है। हम भी कितने सारे सुख , जैसेकि व्यसन। खाने वाले को तो मजा आता है, और उसे पता भी होता है की यह खाने से बीमारी या फिर मृत्यु तो निश्चिन्त ही होने वाली हे, फिर भी उसे खाये बिना रह नहीं सकता। कितनी सारी warnings और सुजाव दिए जाते है, doctor और परिवार जनो के पास से, लेकिन सुख प्राप्त करने के बाद करुण मृत्यु होती। औसत आय से पहले ही मृत्यु की प्राप्ति हमें व्यसन करवट है। ऐसे तो और कई सारी बाते है। हम नकुल के जैसा ही करते है। इतनी देर के बाद भी नकुल को वापस आता न देख सभी भाइयो को संका, कु शंका होने लगती है।बाद में युधिस्थिर तो चिंतित हो जाते है। वो तुरन्त ही सहदेव को नकुल को ढूंढने भेजते है। 

      सहदेव का भी गाला सुखा हुआ था, वो भी नकुल की ही  तरह पानी पिता है और मृत्यु को भेटता है। उसके बाद भीम की बारी आती है, वो भी मोत की नींद सो जाता है। अगर एक व्यक्ति कोई बात को लेकर भूल करता है तो, उस में से सिर्फ उस भूल करने वालो कोही नहीं उसके, आसपास के लोगो को भी शिखना चाहिए। लेकिन हम फिर भी भेद बकरी की तरह उसके पीछे दम दबाकर भागते है, और हमारा भी वाही अंजाम होता है। अब अर्जुन की बरी आती है, अर्जुम भी जेसे ही ऐसी आकाशवाणी सुनते है, वो तुरंत ही अपनी धनुर्विद्या में से इस बाण चलते है की, एक तीर में से हजारो लाखो की संख्या में बाण आकाश में से गिरने लगते है। इतने सारे बन थे की सूर्य की एक किरण भी जमीं को छु नहीं पायी थी। उसके तुरंत बाद फिर आकाशवाणी हुयी, की आपकी धनुुर्विद्या का प्रयोग यहाँअत कीजिये, इससे कुछ नहीं होने वाला। अर्जुन तो डरने वालो मेसे नहीं थे, वो भी अपने भाइयो की तरह ही पानी पिटे है , और अपने देह को छोड़ देते है। overconfidence में आकर मनुष्य कभी कभी अच्छा कम कर देता है, लेकिन हर बार सिर्फ ताकत या शक्ति होने से काम नहीं चलता। कोई बार दिमाग को भी दौड़ना पड़ता है। 

    एक एक करके सभी भाई वापस नहीं आये तो फिर खुद युधस्थिर जाते है, अपने भाइयो की खोज में।
वह जाके अपने सभी भाइयो की लाश देखते है, पहले तो थोड़े दुखी होते है, लेकिन उन्हें भी बाद में आकाशवाणी सुनाई देती है। वो तुरंत ही हाथ जोड़ के कहते है, अगर इस पानी, जल पे आपका अधिकार है तो में प्राण त्याग दूंगा लेकिन आपकी इजाजत के बिना पानी की एक बून्द नहीं पिऊंगा। कितनी स्थितप्रज्ञा सोच है। एक और सभी भाई खो देना और दूसरी और जोरो से प्यास लगी थी फिर भी ऐसी कठिन परिस्थिति को handle करना बहुत ही बड़ी बात है। 

अपनी सुजबुज के साथ धर्मराज एक के बाद एक सभी प्रश्नो के जवाब देते है। और अपने भाइयो को भी वापस जिन्दा करवा लेते है। प्रसंग तो काफी लंबा है, लेकिन कोई बुरी परिस्थिति में अपने को कैसे control करना है, वो यहाँ ले शिखन मिलता है। और सुखी होने के लिए भी स्थिरता के साथ जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए। भगवान ने हमें ये अमूल्य मनुष्य देह दिया है, तो life तो enjoy करनी ही चाहिए लेकिन, एन्जॉय करने के बहाने, या फिर मजा लेने के लिए कोई गलत काम करना, या फिर गलत तरीके से काम करना, वो बहोत ही बुरी बात होगी।

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