Sunday, March 13, 2016

" I have that Diamond "

" I have that Kohinoor " बहोत excite मत हो जाना, में असली वाले हिरे की बात नहीं कर रहा हु। लेकिन अगर मेरे पास या फिर आप किसी के पास कोहिनूर होता तो !!! कितना मजा आता नई। दुनिया में कितने popular, richest व्यक्ति हो जाते।

कोहिनूर हीरा 



और अगर उस हिरे को बेच दिया तो !!!! बेचना भी auction करके, तो फिर कितने सरे पैसे आ जायेंगे । वो तो आप सिर्फ imagine करो आप मन ही मन बहोत ही खुस होंगे । आप की खुसी का ठिकाना नै रहेंगा । शायद आप और आपका मन दोनों इधर उधर भग्न शुरू कर देंगे । खुशियाँ, आनंद, उत्साह, अभिमान, उमंग इतना होंगे की जिसकी कोई सिमा ही नहीं होंगी ।
लेकिन, इसमें भी एक twist है???
अगर आप पढ़े लिखे नहीं होंगे तो, फिर आपको पता ही नहीं चलेंगा की इस महत्वपूर्ण, कीमती, अदभुत हिरे की किम्मत !!!
ऐसी ही एक कहानी आज आप पढ़ने वाले हो ....
इस कहानी मैं भी एक बहुत ही कीमती हिरा है । जिसका नाम और खासियत में आपको कहानी के end मैं कहूँगा।
एक भरवाड था । जिसके पास सिर्फ १० - १५ भेड,  बकरियाँ थी, जिससे उसका जीवन निर्वाह बहुत ही मुस्केलि साथ गुजरता था। वो सुकून से सिर्फ एक वक्त की रोटी काम पता था । उसके पास सिर्फ २ जोड़ी कपडे थे और एक टुटा फूटा लकड़ी, घास, बांस से बना छोटा सा घर था । एक दिन वो अपनी भेड बकरिंयो को खेत में लेके जा रहा था । वो उदास था,चिंता में था की अब घर वालो के लिए और अपने लिए खाने लाइन की व्यवस्था कैसे करेंगा । तभी रास्तेमें चलते चलते उसके पैर में कुछ चुभता है । तो वो तुरंत ही पैर उठके के चोट तो नहीं लगी इस देखता है ।
ऐसे।इ उसकी नजर उस पथ्थर पर जा अटकती हे, जिस पे गलती से पैर पद गया था। वो पथ्थर थोडा थोडा चमक रहा था । उसको लगा की चलो इसको मेरी भेड के गले में बांध देता हूँ। बहुत ही अच्छा लगेगा। उसमे अपनी प्रिय भेड के गले में वो बढ़िया सा पथ्थर लगा दिया । और अपने घर की और च दिया ।
ऐसे में उसे अपने गांव का नगर शेठ मिलता है । वो बिचार भरवाड शेठ को अपने बुरे दिन के बारे में बताता है, और थोड़ी पैसे की या फिर नोकरी देने की बात करता है । नगर शेठ भी बहुत ही अच्छा और ईमानदार था उसने तुरंत ही थोड़े पैसे दिए और नोकरी के बारे में भी सोंच कर कहूँगा ऐसा कहा ।
तभी शेठ की नजर उस भेड़ के गले में लगे हुए चमकते हुए पथ्थर पर पड़ी । शेठ थोडा चतुर, होशियार था । उसको लगा की ये पथ्थर कीमती हो सकता है । फिर उसने जल्दी से उस भरवाड के पास गया और वो पथतर खरीदने के लिए पूछा ...
भरवाड तो वेसे भी खुस ही था और ऊपर से ये पथ्थर भी बेचेंगे तो उसे तो free में पैसे कमाने मिल जायेंगे । "भरवाड में तो वो पथ्थर, हिरा सिर्फ १५० रुपये में नगर शेठ को बेच दिया । "
अब नगर शेठ घर पर जाते है और हिरे को अच्च्ज तरह से परख ते है और मन ही मन उसकी किम्मत सोचने लगता है । फिर कुछ दिन सोचने के बाद, "नगर शेठ उस मूल्यवान हिरे को एक छोटे हिरे के वेपारी के बेंच देता है। इस बार किम्मत है १५०० रुपए । " शेठने हिरे के वेपारी को बहोत समजाया तब जेक वो इतने रुपये देने को माना । अब हम कहते है न की "हिरे की किम्मत तो एक जवेरी ही पहचानता है"
उस वेपारी को लता चल गया की इस हिरे किम्मत बहोत ही ज्यादा होंगी। वो तो तुरंत ही वो हिरा लेके अपने एक दोस्त के पास चला गया । की जो हिरे की घिसाई करता था। हिरे को तरासने वाले को तो उसकी किम्मत का अंदाजा यूँही लगा लेते है । वेपारी जेसे ही वो हिरा अपने दोस्त को दीखता है। वो हिरे घिसने वाला तो बहोत ही खुस हो जाता है, मन ही मन इतना उत्साही, प्रफुल्लित हो जाता है की उसकी खुसी का ठिकाना नहीं रहता । वेपारी भी सातिर था । वो अपने दोस्त की खुसी को पहचान गया । ऊसर लगा की ये हिरा जो उसने १५०० रुपये में ख़रीदा था उसकी किंमत और भी ज्यादा हक सकती है । वेपारी ने पहले ही चालाकी से बोल दिया, में इसे काम दाम में नै बेचूंगा ।
वो दोस्त तो वेसे ही बहित खुस था, वो बोला हा ठीक है में इसके सिर्फ " ५०,००० " दूंगा । ये सुनकर तो वो वेपारी मित्र खुस हो जाता है, वो तो वह पर ही कूदने लगता है, चलने लगता है, अपने दोस्त को गले लगता है  ....
उसकी खुसिन्यो का ठिकाना नहीं रहा । वो मन ही मन सोचता हे १५०० रुपये के सामने ५०,००० तो बहोत ही ज्यादा है । ""तुरंत ही वेपारी ने वो हिरा बेच दिया आप इ दोस्त को ५०,००० में "" ।।
अब ये भाई इस हिरे को तरास्ते है, उसकी घिसाई करते है, उसे खूबसूरत सा आकार देते है । थोड़े दिन के बाद वो सोच में पद जाता है की इस हिरे को में कहा बेंचुंगा । मुझे इस हिरे को ज्यादा से ज्यादा किंमत पर बेचना है । वो सभी बड़े हिरे जवाहरात के वेपारी, कंपनी में जाकर इस हिरे की किंमत पता लगता है, लेकिन कही पे भी उसको अच्छी किंमत नै मिली । फिर एक दिन वो अपने घर पे बेठा था की उसको अपने राज्य के राजा की तस्वीर दिखी । और उसे लगा की अगर में राजा को ये हिरा बेंचुंगा तो बहोत ही ज्यादा पैसे मिलेंगे । वो दूसरे ही दी  एकदम सज-ढज के राजा के महल में जाता है ।
महाराजा के सामने कैसे बात करूँगा ये मन ही मन सोचने लगता है । इसके साथ वो बहुत ही आनंदित और उत्साही भी था क्यों की उसे वो पथ्थर हिरे को बेचने वाला भी था। उसने मन ही मन ये भी सोच रखा थी की इतना पैसा तो मिलेंगे ही ।
उतने में महाराजा दरबार में आते है, सभी लोग राजा की जय जय कर करते हे, सेवक महाराज के ऊपर पुष्प की वर्षा करते है, दूसरी और सारे वादक ढोल, नगारे बजाना सुरु करते है। महाराजा का दरबार में भव्य स्वागत होता है। उसके बाद सभा सुरु होती है। सभी लोगो की वाट सुनने के बाद, राज्य की सारी मुस्केलि सुनने के बाद, उस व्यक्ति का समय आता है, जो वो हिरा, पथ्थर बेचने आया था।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट यहाँ पर आता है। this is the climax of the picture. जैसे ही राजा वो पथ्थर, हिरे को देखा की राजा सिंहासन से खड़ा हो गया और दौड़ते हुए उस लड़के के पास आता है। महाराजा की आँखों में इतना उत्साह, आतुरता, आश्चर्य कभी नै देखा होगा। दरबार, सभा में बेठे सरे लोग खड़े हो गए और वो भी सोचने में मजबूर हो गए की एक सामान्य पथ्थर को देखकर राजा इतना गंभीर क्यों हो गए !!!!
थोड़ी देर उस पथ्थर को, फिर उस आदमी को, पथ्थर, आदमी, पथ्थर, आदमी, पथ्थर, आदमी देखने के बाद राजा अचानक बोलता है।
"तुम कल १०० आदमी लेके आना, और सुबह से शाम तक जितना पैसा, हिरा, माणेक, सोना, चांदी ले जा सको इतना ले जाना ।"
आपको विस्वास ना हो तो दूसरी बार ये पढ़ सकते है। हा उस आदमी और पूरी सभा ने भी यही सुना था। एक पूरा दिन, सुबह से शाम तक जितना ले जा शको उतना इस हिरे के बदले, इस पथ्थर के बदले तुम्हारा। सब लोग भोचचक्के रह गए। एक पथ्थर के लिए इतना रूपया हो सकता है क्या ?? राजा पागल हो गए है क्या !!!
दूसरे दिन हुआ भी इस। वो आदमी १०० लोग को लेके आता है, और पूरा दिन तक सारा खजाना लेते ही रहता है । ये देखकर राजा के पिता वह पर आते आते हे। राजा ने वो हिरा अपने पिताश्री को दिखाया। पितश्री भी देख के खुस हो गए, और बोले की बेटा ये क्या अगर तूने दो या तिन दिन तक भी अपना खजाना ले जाने कहा होता तो भी इसकी किंमत काम होती !!!!  आप सोचते होंगे की ये राजा और उनके पिताश्री तो पागल है पर ये blogger भी है क्या !!! एक हिरे, पथ्थर के लिए इतना सारा पैसा, रूपया कहा तक सही है । राजा को सब कोसते रहे, इतना गलत फैसला राज्य की बर्बादी करवाएंगा ।
लेकिन एक दिन राजा ने सभी प्रजाजन को महल में बुलाया । उस दिन पूनम की रात थी । राजा ने कहा आप सब को में पागल हु इस लगा होंगा, लेकिन आज आपको पता चलेंगा की पागल कौन है, में या आप सब ???
राजा ने पूनम का चाँद जैसे ही पूर्ण हुआ और उसका प्रकास जैसे ही उस हिरे पर पड़ा, की तुरंत ही उस एक हिरे मेंसे उसके जैसे १०० हिरे और निकले । ये देख कर सब लोग आश्चर्यचकित हो गए। लोग अपने मुह में उंगली डाल गए। एक दूसरे को चिमटी काटते हुए सोचने लगे कोई सपना तो नहीं हे ना ...
फिर राजा ने कहा इस हर पूनम की रात को होंगा ।
कहानी तो यहाँ पर पूरी होती है,लेकिन हमको सोचने पर मजबूर करे ऐसी कहानी है यह । एक बात तो रह गयी वो पथ्थर का नाम कहना रह गया ।




     "चिंतामणि"जी हा उस पथ्थर का नाम चिंतामणि हिरा था। उस हिरे की खाशियत यही थी की पूनम की रात को वो अपने मेसे कई सारे हिरा माणेक बना लेता है । राजा अपना सारा खजाना दे देता तो भी वो उससे भी ज्यादा सिर्फ एक पूनम की रात में recover हो जाता । सही झवेरी ये महाराजा निकला ।
एक भरवाड से, एक नगर शेठ के पास, फिर हिरा घिसने वाले के पास, फिर हिरे के वेपारी के पास, आखिर में महाराजा के पास हिरा आता है । सबके पास उठा हिरे की किंमत बिलकुल ही अलग है । लेकिन उसका सही उपाय, value कोण समज पाया ?? जिसको उस हिरे के गुण, खासियत पता थी ।
Moral of the story .... कहानी पढ़ने के बाद आपको यही लगता होगा की moral क्या है। आपको पता हे और इस कहानी के बहोत सरे moral हो सकते हे। "motivational story"
१.  हम भी एक चिंतामणि हिरे के बराबर है, ये हमें decide, choose करना है की हमें जिंदगी में कितना मूल्यवान बनना है ।
Moral बाद में बताता हूं, पहले आप मुझे suggest करे की इस कहानी का moral क्या हो सकता है। आप इस कहानी से क्या समझे ??